Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
आपातकाल के काले दिन हमारे इतिहास में एक अविस्मरणीय अवधि है, जो हमारे संविधान द्वारा मनाए गए मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है।”
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि लोकतंत्र के काले दिन उन मूल्यों के बिल्कुल विपरीत थे जिनका जश्न हमारा संविधान मनाता है। प्रधानमंत्री ने आपातकाल लागू होने की बरसी पर आज ट्वीट किया- “मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। आपातकाल के काले दिन हमारे इतिहास में एक अविस्मरणीय अवधि है, जो हमारे संविधान द्वारा मनाए गए मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है।”
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में आपातकाल के दौरान राजनीतिक बंदियों को दी गई यातनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल में हमें लोकतंत्र के खिलाफ हुए इस अपराधों को याद रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के 102वें एपिसोड में कहा था कि भारत लोकतंत्र की जननी है। हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों और संविधान को सर्वोपरि मानते हैं। ऐसे में हम 25 जून को कभी नहीं भुला सकते। यह वही दिन है जब हमारे देश पर आपातकाल थोपा गया था। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने आपातकाल का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान अत्याचार किया गया था। इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी मन सिहर उठता है।
उन्होंने कहा था कि इन अत्याचारों पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं। स्वयं उन्हें भी पुस्तक लिखने का मौका मिला। कुछ दिनों पहले उन्होंने ऐसी एक पुस्तक देखी ‘टॉर्चर ऑफ पॉलीटिकल प्रिजनर्स इन इंडिया’। पुस्तक में वर्णन किया गया है कि इमरजेंसी के दौरान कैसे उस समय की सरकार लोकतंत्र के रखवालों पर क्रूरता से व्यवहार कर रही थी। इसके बारे में जानकार आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।